Saturday, April 26

सांसद तिवारी ने संसद उठाया जम्मू कश्मीर में पंजाबी भाषा का मुद्दा

चंडीगढ़, (ब्यूरो)- वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने आज संसद में केंद्र की भाजपा सरकार पर उसके पंजाबी विरोधी रवैये के लिए बरसते हुए, खुलासा किया कि केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए पांच आधिकारिक भाषाओं को अधिसूचित करते हुए पंजाबी को नजरअंदाज करके उसके साथ पक्षपात किया गया है। संसद में स्पीकर ओम बिरला की बेंच को संबोधित करते हुए तिवारी ने कहा कि शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह ने सन 1808 में जम्मू पर अपना अधिकार जमाया था। सन 1820 में उन्होंने जम्मू की जागीर महाराजा गुलाब सिंह के पिता मियां किशोर सिंह जामवाल को दी थी। जबकि सन 1822 में उन्होंने एक खुद महाराजा गुलाब सिंह का जम्मू के राजा के रूप में अपने हाथों से राजतिलक किया था। करीब 200 सालों से जम्मू और उसके आसपास के इलाकों में पंजाबी का बोलबाला है। जम्मू-कश्मीर में पंजाबी और उसकी कई उप बोलियां बोली जाती हैं व 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ था, तब बड़ी संख्या में पंजाबी भाषायी लोग जम्मू-कश्मीर में आकर बस गए थे। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 2 सितंबर, 2020 को अधिसूचित की गई जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं में सिर्फ कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी को शामिल करते हुए, पंजाबी के साथ पक्षपात किया गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार को अधिसूचना में पंजाबी भाषा को भी शामिल करना चाहिए व केंद्र शासित प्रदेश में पंजाबी भाषा के साथ पक्षपात नहीं करना चाहिए।

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