Sunday, May 11

जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी तथा प्राप्त राजस्व बेहद कम – बड़ाया जा सकता है – कैट ने वित्त मंत्री श्रीमती सीथारमन से पत्र के जरिए दी जानकारी:हरकेश मित्तल

लुधियाना (संजय मिका, अरुण जैन)केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को भेजे गए एक पत्र में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि भारत में जीएसटी लागू होने के लगभग 4 वर्षों में, जीएसटी के तहत डीलरों का वर्तमान पंजीकरण लगभग 1. 30 करोड़ बहुत कम है जबकि देश में वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियों में लगे लोगों की मात्रा तथा जीएसटी के माध्यम से प्रति माह 1.15 लाख करोड़ रुपये का प्राप्त मौजूदा राजस्व भी अत्यधिक अपर्याप्त है। कर आधार और राजस्व दोनों के इन आंकड़ों को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते केंद्र और राज्य सरकारें व्यापार करने में आसानी प्रदान करने और कर आधार को विकसित करने और अधिक राजस्व अर्जित करने के लिए व्यापारी संगठनों के साथ मिलकर काम करें। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्रीमती सीतारमण को भेजे पत्र में कहा कि देश में लगभग 8 करोड़ व्यापारी, 1 करोड़ ट्रांसपोर्टर और 1.25 करोड़ छोटे उद्योग हैं तथा इसके अतिरिक्त एक बड़ा कॉर्पोरेट वर्ग है और बड़ी संख्या में अन्य सेवा प्रदाता हैं। देश में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री और खरीद से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियों और भारत में कर योग्य सेवाएं प्रदान करने वाले अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में व्यापार, उद्योग और सेवाओं के एक विशाल सेक्टर के तहत काम कर रहे है है किंतु अजीब है कि अब तक केवल 1.30 करोड़ लोगों ने जीएसटी पंजीकरण प्राप्त किया है। भले ही यह मान लिया जाए कि इस भारी संख्या का आधा हिस्सा निर्धारित जीएसटी सीमा के तहत हो सकता है जिसे पंजीकरण लेने की आवश्यकता नहीं है फिर भी काफी बड़ी संख्या अन्य लोग मौजूद है जिन्हें जीएसटी के दायरे में आना चाहिए। श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने कहा कि देश में जीएसटी लागू होने के 4 वर्षों में, कर आधार 2.5 करोड़ रुपये पर होना चाहिए था और अर्जित राजस्व 2 लाख करोड़ रुपये प्रति माह से ऊपर होना चाहिए जबकि यह आँकड़ा बेहद कम है इसलिए व्यापारियों और सरकार के बीच एक गंभीर चर्चा होनी चाहिए कि क्या जीएसटी को एक कराधान प्रणाली के रूप में अपनाने में वास्तविक बाधाएं हैं और क्या बड़ी संख्या में लोग जीएसटी के तहत पंजीकरण से बच रहे हैं।अगर ऐसा है तो उसकी वजह क्या है । श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि हालांकि व्यापारी और अन्य व्यापार और उद्योग जगत के लोग जीएसटी के दायरे में शामिल होने के लिए अधिक इच्छुक हैं, क्योंकि यह प्रत्येक व्यापारी को इनपुट क्रेडिट की सुविधा देता है। हालांकि, जीएसटी के विषय में जीएसटी काउन्सिल अथवा सरकारों ने कोई जागृति अभियान में लोगों को भर्ती करने के लिए न तो एक राज्यव्यापी और न ही एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने के लिए पिछले 4 वर्षों में कोई कदम नहीं उठाया गया था और इस बीच, सिस्टम जटिल हो गया है। कैट ने सुझाव दिया है कि जीएसटी परिषद तथा केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के लिए कर आधार और अधिक पर्याप्त राजस्व में वृद्धि के लिए 40 हजार से अधिक व्यापारी संगठन की सहायता लेनी चाहिए, लेकिन सरकार और जीएसटी परिषद को इसके लिए एक पहल करनी होगी ।

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