Friday, May 9

जम्मू-कश्मीर में पंजाबी को नजरअंदाज करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार पर बरसे तिवारी

  • इस मुद्दे पर अकालियों की चुप्पी पर भी किए सवाल

चंडीगढ़, (ब्यूरो)-वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और श्री आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा उसके पंजाबी विरोधी रवैया के लिए बरसे हैं, जिसका खुलासा केंद्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के लिए पांच आधिकारिक भाषाओं को अधिसूचित करते हुए पंजाब को नजरअंदाज करके किया गया है। तिवारी ने मामले में अकाली दल कि भेद पूर्ण चुप्पी पर भी सवाल किए हैं, जो भाजपा के साथ केंद्र में भागीदार है और हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री हैं। श्री आनंदपुर साहिब से सांसद ने कहा कि पंजाबी भाषा के प्रति भाजपा की विरोधता बहुत पुरानी है, जो पंजाबी सूबा आंदोलन के दिनों में सामने आ गई थी, परंतु अकालियों का व्यवहार हैरानीजनक है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का एक बड़ा हिस्सा पंजाबी भाषा बोलता है और यह केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा किया गया पूरी तरह से अन्याय है, जो इस वक्त केंद्र शासित प्रदेश को सीधे तौर पर कंट्रोल और करती है और यह भाषाई सांप्रदायिकता के समान है। तिवारी ने पंजाबी भाषा के प्रति अपने भावनात्मक रिश्ते का विशेषतौर पर जिक्र करते हुए कहा कि उनके स्वर्गवासी पिता प्रो. विश्वनाथ तिवारी ना सिर्फ एक महान पंजाबी लेखक थे, बल्कि वह पंजाबी भाषा के बड़े समर्थक थे, जिन्होंने चंडीगढ़ को पंजाबी भाषा क्षेत्र साबित करने हेतु एक मुहिम भी चलाई थी। उन्होंने देश की अखंडता व पंजाब के अंदर सांप्रदायिक भाईचारा कायम करने हेतु अपनी जिंदगी का बलिदान भी दे दिया। जिस पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने केंद्र सरकार से पंजाबी भाषा को जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं से हटाए जाने संबंधी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

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