Friday, May 9

पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं- अशोक जैन

  • सोशल साईट पर संध्या चौंकी का आयोजन जारी,भजन गायकों ने भजनों के माध्यम से लगाई हाजिरी  

लुधियाना(संजय मिका ,विशाल) -पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है  उक्त शब्द सिद्व पीठ  संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर हैबोवाल क्ला के प्रधान अशोक जैन ने संध्या चौंकी के अवसर पर श्राद्ध का महत्त्व बताते हुए कहे। उन्होंने कहा कि हमारे पुराणों में भी बारीकी से श्राद्ध के महत्त्व का वर्ण किया गया है  गरुड़ पुराण के अनुसार ‘पितृ पूजन (श्राद्ध कर्म) से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशु, सुख, धन और धान्य देते हैं।कुर्म पुराण में कहा गया है कि ‘जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से रहित होकर मुक्त हो जाता है और पुनः संसार चक्र में नहीं आता।’मार्कण्डेय पुराण के अनुसार ‘श्राद्ध से तृप्त होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, सन्तति, धन, विद्या सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं।विश्व शान्ति के लिए मंदिर कमेटी द्वारा सोशल साईट पर संध्या चौंकी का आयोजन निरन्तन जारी है जिसमें विश्व भर से भजन गायक/गायिका अपने भजनों के माध्यम से प्रभु चरणों में अरदास कर रहे है जिनमें मुख्य रूप से लक्की राही (लुधि: पंजाब ),विक्की कपूर (फिरोजपुर,पंजाब ),निक्कू (बठिंडा,पंजाब)ने अपने मधुर भजनों द्वारा श्री बालाजी चरणों में हाजिरी लगाई।सेवादार अनुज मदान ने कहा कि प्रधान अशोक जैन की मेहनत से ही इस असम्भव कार्य को सम्भव हो पाया है और  विश्व भर से सोशल साईट पर श्री बालाजी महाराज के चरणों में भजन गायक/गायिका हाजिरी लगा रहे है.     

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