Wednesday, March 12

शादी से दूरी बनाते युवा: सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव और बिगड़ते रिश्ते -लेखिका: अंतिमा धुपड़

लुधिआना (संजय मिंका , विशाल) आज की युवा पीढ़ी, जो तकनीक और डिजिटल युग में पली-बढ़ी है, शादी और रिश्तों जैसे पवित्र बंधनों से दूरी बना रही है। इस बदलते रवैये का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव और बदलते सामाजिक परिवेश को माना जा सकता है। सोशल साइट्स ने न केवल युवाओं की सोच को बदला है, बल्कि उनकी प्राथमिकताओं और जीवनशैली पर भी गहरा असर डाला है। शादी से दूरी क्यों ? प्राथमिकताओं में बदलाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर युवा खुद को अधिक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर मानने लगे हैं। वे शादी को अपनी आज़ादी और करियर के बीच रुकावट समझते हैं। रिश्तों का बदलता स्वरूप सोशल साइट्स पर दिखने वाले ग्लैमरस जीवन ने रिश्तों को जटिल बना दिया है। युवा सच्चे और गहरे रिश्तों की जगह सतही और तात्कालिक संतोष देने वाले वर्चुअल रिश्तों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति शादी के साथ आने वाली जिम्मेदारियां युवाओं को कठिन और बोझिल लगती हैं। वे स्वतंत्रता और आरामदायक जीवन को प्राथमिकता देते हैं। सोशल मीडिया और सामाजिक परिवेश का प्रभाव रिश्तों में अविश्वास सोशल साइट्स पर बढ़ती धोखाधड़ी और झूठी छवि ने लोगों में विश्वास को कमजोर किया है। इससे शादी जैसे रिश्ते के प्रति झिझक बढ़ी है। सामाजिक माहौल का असर जिम और अन्य सार्वजनिक जगहों पर देखने को मिलता है कि बड़े-बड़े घरों की महिलाएं अपने ट्रेनर्स के साथ रिश्तों में होती हैं। दो-दो बच्चों के माता-पिता भी गलत संबंधों में उलझे दिखते हैं। ऐसे माहौल को देखकर संस्कारी युवाओं का शादी जैसे रिश्ते से भरोसा उठने लगा है। रिश्तों का वस्तुकरण सोशल मीडिया पर पार्टनर और उपलब्धियों की तुलना करना रिश्तों को कमजोर करता है। इससे रिश्ते जटिल होते हैं और कई बार खत्म भी हो जाते हैं। समाधान की ओर कदम सोशल मीडिया का सीमित उपयोग सोशल मीडिया का उपयोग सोच-समझकर और सकारात्मक रूप से करना चाहिए। इसे जीवन पर हावी नहीं होने देना चाहिए। रिश्तों की अहमियत समझना परिवार और रिश्तों की अहमियत को समझने के लिए युवाओं को अपने बड़ों और दोस्तों से संवाद करना चाहिए। सच्चे रिश्तों पर ध्यान देना वर्चुअल रिश्तों के बजाय असली और सच्चे रिश्तों में समय और भावनाएं निवेश करनी चाहिए। निष्कर्ष शादी और रिश्ते भारतीय संस्कृति का आधार हैं। लेकिन सोशल साइट्स और बदलते सामाजिक परिवेश ने इनकी अहमियत को चुनौती दी है। युवाओं को चाहिए कि वे अपने मूल्यों और प्राथमिकताओं को समझें और रिश्तों की गहराई को महसूस करें। सही सोच और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ वे अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए पारंपरिक मूल्यों को भी बचा सकते हैं।

    About Author

    Leave A Reply

    WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com