Thursday, May 15

8000 वैट नोटिस और बिजली के बढ़े हुए रेट वापस ना किए तो व्यापारी करेंगे लुधियाना में महापंचायत

  • सरकार की व्यापार विरोधी नीतियों के खिलाफ रोष बैठक करेंगे

लुधियाना (संजय मिंका )- पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल की ओर से एक मीटिंग का आयोजन माता रानी चौक स्थित मुख्य कार्यालय में स्टेट जनरल सेक्टरी सुनील मेहरा की अध्यक्षता में किया गया ।इस मीटिंग को संबोधित करते पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के स्टेट जनरल सेक्टरी सुनील मेहरा , जिला लुधियाना के जनरल सेक्टरी आयुष अग्रवाल और अश्विनी महाजन ने बताया कि पंजाब का व्यापार तबाही की मुंडेर पर आकर खड़ा हो गया है और पंजाब सरकार कुंभकरण की नींद सोई हुई है ! यहां पर इन्वेस्टमेंट पर इन्वेस्टमेंट पंजाब के नाम पर बाहर की शख्सियत बुलाकर इंडस्ट्री बनाने के लिए कहां जा रहा है ! पर घर के इंडस्ट्री पूरी तरह फेल होकर बंद हो रही है । आज पंजाब का 50 प्रतिशत इंडस्ट्री और उद्योग बंद हो चुका है ! पंजाब की पहले ही भारी इंडस्ट्री हिमाचल , गुजरात , उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में पलायन कर चुकी है ! पंजाब सरकार ने चुनाव से पहले वादा किया था कि पंजाब में अमन और शांति का माहौल बनाया जाएगा और नशे भी खत्म किए जाएंगे ! वहीं पंजाब में 5 रुपये में बिजली दी जाएगी । पंजाब की इंडस्ट्री और ट्रेड का सुखावा माहौल बनाया जाएगा और पंजाब में इंडस्ट्री और ट्रेड को दूसरे राज्यों के मुकाबले सरल हिदायते दी जाएंगी ! वन टाइम सेटेलमेंट सिस्टम भी दिया जाएगा यह सब कुछ झूठ का पुलिंदा निकला है और उन्होंने ने कहा है कि आज 50 पैसे बिजली के रेट बढ़ाने और साथ ही वह व्यापारियों को 8000 नोटिस जो वैट खत्म हो चुका है उनके नोटिस भेज कर हरासमेंट और परेशान किया जा रहा है । पंजाब में बिजली के रेट बढ़ाकर पंजाब की इंडस्ट्री को तबाह और बर्बाद कर दिया गया है । उन्होंने कहा है कि इंडस्ट्री और ट्रेड के बड़े रेट और वैट के नोटिस पंजाब के व्यापारियों के लिए आखरी कफन में कील साबित होगे उन्होंने कहा है कि सरकार इसको तुरंत वापस करें और वैट का ऑनलाइन सिस्टम बनाएं और बिजली का रेट ₹5 प्रति यूनिट करें ताकि इंडस्ट्री और ट्रेड का माहौल ठीक हो सके जोकि पंजाब गैंगवार का माहौल बन चुका है अमन और शांति का पंजाब बनाएं जिससे कि पंजाब की इंडस्ट्री चले इससे दहशत का माहौल खत्म हो सके और पंजाब में बाहर से व्यापारी आ सके उन्होंने कहा कि यह सरकार व्यापारियों को मांगों को नहीं मानती तो पंजाब के व्यापारियों द्वारा 10 दिन का अल्टीमेटम देकर कहा कि 10 दिन बाद समूह व्यापारीयों की इंडस्ट्री और ट्रेड की मीटिंग लुधियाना में बुलाई जाएगी जिसमें पंजाब सरकार के खिलाफ सख्त एक्शन की तैयारी की जाएगी ! पंजाब सरकार ने वैट 2016-17 के असेसमेंट्स के नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं । ये कुल 8000 नोटिस जारी किए गए हैं । इसमें वैट की रीसेसमेंट भी माननीय नही है । वैट के ये सारे नोटिस पुराने सीए या लॉयर्स को भेजे गए हैं जो कि अब किसी इंडस्ट्रीलिस्ट के साथ काम नहीं करते । सीधे एसेसी को भेजने की बजाए ये समय सीमित नोटिस जारी कर सी जी एस टी और सरकार का व्यापारियों के प्रति रवैया स्पष्ट होता नजर आ रहा है । पिछले वैट वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम इसमें भी व्यापारियों को रीसेसमेंट करने से रोका था । सरकार से ये मांग करते हैं कि हर साल की असेसमेंट कर के वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम निकालने के बजाए एक बार में सभी सालों की वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम निकाल कर वैट रेजिमेंट से बाहर आया जाए ताकि 6 साल पीछेले बंद हुए सिस्टम को छोड़ कर जी एस टी की ओर बढ़ा जाएं । कई व्यापारियों के पास सी फॉर्म्स ना होने के कारण उनपे पेनल्टी एंड फाइन का बोझ डाला जा रहा हैं । सी जी एस टी और पंजाब सरकार के इस कदम से साफ जाहिर है कि आप की सरकार के खजाने मुफ्त स्कीम्स देने में खत्म हो गए हैं और अब पंजाब के व्यापारियों को हर्रास कर के अपने खजाने भरने का प्रयास चल रहा है। पंजाब सरकार की न्यू इंडस्ट्रियल पालिसी 2022 में इससे भी और मुश्किल बिज़नेस के उल्टा पर जोर लगाया जा रहा है । ये वैट और बिजली की बढ़ती दरों से साफ जाहिर हैं । 1 अप्रैल 2022 से पी एस पी सी एल ने 50 पैसे की बिजली की दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है । जो कि सीधे इंडस्ट्री , मिडिल और बड़ी पर प्रभाव डालेगी । पंजाब की इंडस्ट्री पहले की मंदे के दौर से गुजर रही है , पहले कोविड 19 फिर पंजाब की कानूनी व्यवस्था की माली हालत ने पंजाब के व्यवसाय को वेंटिलेटर पर ला के खड़ा कर दिया है और इसके ऊपर से जो सरकार 300 यूनिट महीने के मुफ्त देने की स्कीम के साथ साथ इंडस्ट्री को ₹5 प्रति यूनिट के दर से बिजली सप्लाई करने की बजाए 50 पैसे प्रति यूनिट बढ़ा रही है । इसका सीधा असर इंडस्ट्री पर 4000 से 5000 करोड़ रुपए सालाना दिखने को मिलेगा । आज तक की सभी सरकारों ने इंडस्ट्री को ₹5 प्रति यूनिट पर बिजली सप्लाई करने के वायदे पर ही वोट हासिल किए हैं पर आज तक कभी भी बिजली ₹5 प्रति यूनिट पर नही मिली बल्कि ये ₹6.5 प्रति यूनिट पर इंडस्ट्री को लग कर आती है और ऊपर से पी एस पी सी एल के नोटिस के अनुसार हर साल 3 % की इसमें वृद्धि भी की जाएगी । पंजाब सरकार अपने पी पी ए एस को रद्द कर जो सालाना 1400 से 1500 करोड़ रुपए फिक्स्ड कॉस्ट के तौर पर निजी बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों को देते है, चाहे उनसे पीक सीजन में बिजली ना भी लें, ये रुपए अपने छोटे बिजली के प्लांट लगाने मैं इस्तेमाल किए जा सकते हैं । ऐसी कुछ और दिक्कतें जैसे कोयले का सही स्टॉक का आभाव , सेंट्रल ग्रिड से महंगी बिजली लेना, सब्सिडी के नाम पर 9000 करोड़ से अधिक का पी एस पी सी एल के नाम का बकाया खड़ा रखना, इन सब समस्याओं का हल ढूंढने के बजाए , इंडस्ट्री और ट्रेडर्स से बैठ के एक निष्पक्ष नतीजे पर आने के बजाए, सीधे इंडस्ट्री को महंगी बिजली सप्लाई करना ये दर्शाता है की पंजाब सरकार पंजाब में इंडस्ट्री का विकास नहीं चाहती। ऐसे ही रवैए के कारण पहले ही छोटे बड़े उद्योग मिला कर 60000 इकाई पंजाब से पलायन कर चुके हैं, और डर है कि बाकी के बचे हुए 3 से 4 लाख इकाई भी कही पंजाब से पलायन न कर जाएं ।

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