Friday, July 11

सत्संग ओर सेवा प्रभु प्राप्ति के दो साधन: स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज

लुधियाना,(संजय मिका)-सत्संग ओर सेवा प्रभु प्राप्ति के दो साधन है सेवा ही सच्चा धर्म है । निष्काम साधना ही प्रभु की सच्ची पूजा है । जब आप दूसरों के हित ओर कल्याण की सोचते है तो धर्म कमाते है । जिस मनुष्य के दिल में दूसरों की सेवा का ध्यान व् दर्द नहीं होता वह इंसान प्रभु का प्रिय कभी नहीं बन सकता । इसलिए इंसान को अपने जीवन में दूसरों के प्रति परोपकार की भावना रखनी चाहिए ताकि हमारे भीतर पैदा हुआ अहंकार ख़त्म हो सके ओर हम अपने प्रति जागरूक हो सके । उक्त शब्द श्री कृष्ण कृपा परिवार की ओर से श्री कृष्णा मंदिर श्री कृष्णा हॉस्पिटल मॉडल टाउन में दिव्य गीता सत्संग के समापन अवसर पर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने भक्तो का मार्गदर्शन करते हुए कहे।उन्होंने आगे कहा कि महापुरुष ही हमें हमारा मूल बताकर उससे जुडऩे की युक्ति बताते है और उनके बताए रास्ते पर चलकर हम अपने मूल के साथ मिल सकते है। समारोह की समाप्ति पर स्त्री सत्संग सभा मॉडल टाउन,श्री कृष्णा चेरिटेबल सभा,श्री कृष्ण कृपा परिवार द्वारा महाराज जी को दौशाला
पहना कर सम्मानित किया गया।श्री कृष्णा कृपा परिवार परिवार के प्रधान हरकेश मित्तल द्वारा दिव्य गीता सत्संग में सहयोग करने के लिए सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया गया।इस अवसर पर पंछी सेवा सोसाइटी से अशोक थापर, कुलदीप थापर,राधेश्याम, प्रवीण छाबड़ा, अशोक बंसल ,सुशील खुराना,परवेश महाजन, मधुसूदन,नीरू मित्तल उपस्थित हुए ।

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