Thursday, March 13

430 ग्राम वजन के साथ पैदा हुए बच्चे ने मनाया तीसरा जन्म दिन

  • क्लीओ अस्पताल में आयोजित किया गया जन्म दिन का कार्यक्रम

लुधिआना (संजय मिंका , विशाल)   तीन साल पहले मात्र 430 ग्राम वजन के साथ पैदा हुए प्रि-मेच्योर बच्चे गुरसहज सिंह ने क्लीओ मदर एंड चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट अस्पताल में अपना तीसरा जन्म दिन मनाया। अस्पताल ने इसे एक बड़ी उपलब्धि मानते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस प्रसव प्रक्रिया को अंजाम देने वाली वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. वीनस बंसल ने बताया कि फाजिलका निवासी 30 वर्षीय सुनीता पत्नी लक्ष्मण सिंह जब उनके पास आई थी तो उसके गर्भ में जुड़वां बच्चे थे। 23.5 हफ्तों में ही जोखिम उठाकर बहुत सावधानी पूर्वक उसकी डिलीवरी करानी पड़ी। क्योंकि उसके जुड़वां बच्चों में से एक मृत था। सामान्य तौर पर जन्म लेते वक्त बच्चे का वजन ढाई से साढे 3 किलो तक होता है। लेकिन इन जुड़वां बच्चों का वजन काफी कम था। उन्होंने बताया कि जीवित बच्चे का वजन मात्र 430 ग्राम था। यह बच्चा हथेली से भी छोटा था। उसकी नसें धागे से भी पतली थी। श्वास नाली एक बिंदू की तरह थी। इसे बचा पाना एक बड़ी चुनौती थी। फिर भी अस्पताल ने इस जोखिम को स्वीकार किया। उसे तुरंत आईसीयू में रखकर मां के स्तन से निकाले हुए दूध को पिलाने के लिए भोजन नली, डेक्सरोज ड्रिप के लिए वेन तैयार की गई। सांस लेने के लिए वेंटिलेटर लगाया गया। इंफेक्शन से बचाने केलिए सख्त प्रोटोकॉल फॉलो किया गया। 77 दिन तक कंगारू मदर केयर के साथ देखभाल करने के बाद जब उसका वजन 1 किलो 400 ग्राम हो गया तो उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।अब यह बच्चा तीन साल का हो चुका है और नर्सरी कक्षा में पढ़ रहा है। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास बंसल ने कहा कि यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण केस रहा है। बच्चे के हर अंग को सहारा देकर आईसीयू में मां के गर्भ जैसा माहौल बनाकर, इसे इंफेक्शन से बचाकर और इसका वजन बढ़ाकर पॉजिटिव परिणाम हासिल किए गए। बच्चों के माहिर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. गुरप्रीत सिंह कोचर ने कहा कि यह बच्चे अकेला नहीं है, जो इस स्थिति में पैदा हुआ। बल्कि विश्व सेहत संगठन की रिपोर्ट के अनुसर 2020 में दुनिया भर में 1 करोड़ 34 लाख बच्चे समय से पहले पैदा हुए। जिसमें से 22 फीसदी (30 लाख) बच्चे भारत में पैदा हुए थे। आज यह बच्चा शारीरक तथा मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है। डॉ. महक बंसल ने कहा कि बच्चे को सहारा देने के  लिए मां-बाप को हमेशा प्रेरणा की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों को बचाने के लिए एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरी टीम की जरूरत होती है। इस लिए अगर कभी ऐसी स्थिति बनें तो ऐसे असस्पताल में जाना चाहिए, जहां ऐसी सारी सुविधाएं उपलब्ध हों। पहले जन्म लेने वाले बच्चों में 12 प्रतिशत हुई वृद्धि सिविल सर्जन लुधियाना, डॉ. जसबीर सिंह औलख ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले दशक में समय से पहले जन्में बच्चों में 12% की वृद्धि हुई है। गर्भावस्था में उच्च जोखिम वाले कारकों की पहचान करने और प्रसव के लिए तृतीयक देखभाल सुविधा होने से हमें इस महामारी से लड़ने में मदद मिलेगी।

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