Thursday, March 13

पंजाब की तमाम राजनीतिक पार्टियों का सम्मेलन

  • पंजाब व्यापार मण्डल (रजी) ने किया स्वागत
  • कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को राजनीति छोड़ कर लेना होगा पंजाब के हित में ठोस क़दम

लुधियाना (संजय मिंका) पंजाब प्रदेश व्यापार मण्डल (रजी) की आज एक प्रेस कॉन्फ़्रेस मण्डल के दफ़्तर माता रानी चौक में संपन्न हुई। मण्डल की और से स्टेट जनरल सेक्रेटरी और नेशनल व्यापारी कल्याण बोर्ड के मेम्बर सुनील मेहरा और जेनरल सेक्रेटरी आयुष अग्रवाल ने कहा कि व्यापार मंडल सभी राजनीतिक दलों का एक मंच पर इकट्ठे होने के कदम को सहारता है और साथ में चिंता व्यक्त भी करता है कि कहीं ये मौखिक चर्चा केवल चर्चा बन कर ना रह जाए । आज पंजाब के व्यापार और उद्योग को बचाने के लिए सरकार से रचनात्मक उपायों की आवश्यकता है । पंजाब में व्यापार और उद्योग की बिगड़ती हालत को यदि अभी ना रोका गया तो ये पंजाब की कई दशक पीछे ले जाएगी । आज बेरोज़गारी ने पंजाब को जकड़ रखा है । पंजाब में बेरोज़गारी दर 8.5% है और वही देश भर का बेरोज़गारी दर 7% है। पंजाब के नौजवान नशे में उलझ कर अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहे हैं और वही जो बाक़ी बचे हैं वे राज्य छोड़ कर नौकरी की तलाश में कनाडा , लंदन और अन्य राज्यों की और रुख़ कर रहे हैं। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ पिछले 6 वर्षों में 6 लाख से अधिक युवा पंजाब छोड़ कर जा चुके हैं और हर साल 1.5 लाख युवा बाहर जा रहे हैं। पंजाब डेब्ट ट्रैप (क़र्ज़ का जाल ) में उलझता जा रहा है । पंजाब के ऊपर कुल ऋण 3 लाख करोड़ रुपये का है और सरकार ने ख़ुद इसे साल 2024 में इसे 3.4 लाख करोड़ रुपये होने की शंका जतायी है । पिछले वित्य वर्ष में पंजाब सरकार ने 1200 करोड़ रुपये का वर्ल्ड बैंक से नया ऋण लिया । पंजाब में अब ऋण की कुल स्तिथि ऐसी है जिसने श्री लंका को ले डूबा था। पंजाब में व्यापार और उद्योग को सबसे ज़्यादा बिजली की मार पड़ी है। पंजाब सरकार ने राजनीतिक हितोंके लिए मुफ़्त की बिजली बाँटने से हर वर्ष 18000 करोड़ रुपये सब्सिडी के नाम पर गवाये है। इन पैसों से पंजाब को ऋण मुक्त करने की और कदम उठाये जाने या नयी व्यापारिक और उद्योगिक नीतियों में इस्तेमाल करने की बजाए राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आवश्यकता से ज़्यादा आर्थिक मदद ने पंजाब को पीछे धकेल दिया है। आज पंजाब में देश और अन्य राज्यों के मुक़ाबले हाइड्रो प्लांट या सोलर प्लांट को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है। केवल एक ही सरकारी ठेका सोलर प्लांट का हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा घरों की छत्त पर भी सोलर पैनल  लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है लेकिन पंजाब की जानता इसके बारे में जागरूक नई है और ना ही राज्य सरकार ने कोई कदम उठाया है। राज्य की व्यापारिक स्तिथि भी बाक़ी राज्यों के मुक़ाबले कुछ अच्छी नहीं है। हरियाणा एक समय में पंजाब से पीछे माना जाता था और आज पंजाब से 4 गुना ज़्यादा GST कलेक्शन करता है। पंजाब का सालाना जीएसटी कलेक्शन 20000 करोड़ रुपये पहुँच है वही हरियाणा का 70000 करोड़ रुपये के पार पहुँच चुका है। उत्तर प्रदेश , हरियाणा , केरल के जीएसआटी कलेक्शन में सालाना वृद्धि 20-30% रहती है वहीं पंजाब में ये केवल 15% तक रह जाती है। पंजाब में इस वर्ष 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश भी बाहर जा चुका है और वही पंजाब सरकार 35000 करोड़ रुपये के नये निवेश की बढ़ायी कर्रा रही है। फिर भी पंजाब से 1.5 लाख करोड़ का निवेश बाहर जा चुका है। पंजाब में सिंगल विंडो सिस्टम का अभाव भी है जिसकी वजह से लाल फ़ीताशाही और अफ़सरशाही को बढ़ावा मिलता है और वही उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में इसको निपटने के किए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया गया है जहां आप अपने आवेदन की पूरी जानकारी ले सकते हैं कि अभी किस अफ़सर के पास आपकी आवेदन बाक़ी है। पंजाब में बहुत ऐसी समस्याएँ हैं जिनपे सरकार को सभी राजनीतिक दलों के साथ मिल कर कल चर्चा कर के इसका हल निकालना चाहिए। युवा पीढ़ी का बाहर जाना, प्रदूषण कंट्रोल, समाज के सभी वर्ग को उनकी स्तिथि के अनुसार आर्थिक सहायता यानी सब्सिडी देना , व्यापार अनुकूल माहौल बनाना यानी क़ानून व्यवस्था का बदलाव व अन्य समस्यें । इनमें प्रमुख समस्या है पंजाब की क़ानूनी हालत का बिगाड़ना । पंजाब में दिन दिहाड़ी लूट पाट , व्यापारियों के क़तल , पुलिस हेडक्वर्टर पर हमला, सिद्धू मूस वाला का कत्ल, धर्म के नाम पर शिव सेना नेता का कत्ल, इन सभी वारदातो ने बाहर से पंजाब में आने वाले व्यापारी के मनन में डर्र पैदा कर दिया है जिसकी वजह से पंजाब का निर्यात  पर भी बहुत  बुरा असर पड़ा है । टाइम्स नाउ के डेटा के मुताबिक़ पंजाब ka निर्यात पिछले 6 वर्षों में 8000 करोड़ रुपये से घटा है और हरियाणा ke निर्यात से बू नीचे आ चुका है। मुख्य मंत्री भगवंत मान के रंगले पंजाब के सपने को ये समस्याएँ कांगला पंजाब बना कर छोड़ेंगी यदि इन समस्याओं पर जल्द ही कोई ठोस कदम ना उठाये गये ।

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