
- सोशल साइट के माध्यम से पूरे विश्व को एक माला में पिरो कर सनातन धर्म का प्रचार किया
लुधियाना (संजय मिका,विशाल)- कहते है चौरासी लाख योनियों में गुजरने के उपरांत ही मनुष्य पृथ्वी पर मानव रूप में जन्म लेता है और विरले ही ऐसी महान आत्मा हुई है जिन्होंने सत्कर्मों और भक्ति मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को पूर्ण साकार किया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्तोत्र बने इनमें सिद्व पीठ महाबली संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर जोशी नगर हैबोवाल क्लां लुधियाना के प्रधान स्व.श्री अशोक जैन जी भी एक थे जिन्होंने अपनी ताउम्र श्री बालाजी महाराज जी के चरणों में समर्पित कर दी।आज मन्दिर की ख्याति पूरे विश्व में फैल चुकी है और हजारों भक्त आज श्री बालाजी जी महाराज जी के पवित्र दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे है और मन्दिर दरबार में बनने जा रहा दिव्य दरबार जिनमें भगवान श्री इच्छापूर्ण बालाजी महाराज,भगवान श्री मेहन्दीपुर बालाजी जी महाराज,भगवान श्री सालासर जी महाराज,भगवान श्री खाटू श्याम जी महाराज,माता अंजनी जी, भगवान श्री तिरुपति जी महाराज,के दरबार स्थापित होने जा रहे है जोकि प्रधान स्व.श्री अशोक जैन जी के प्रयासों का ही फल है।प्रधान स्व. श्री अशोक जैन ने अपना आरम्भिक जीवन का आरम्भ साधारण मनुष्य की तरह ही किया लेकिन उन्हें कहीं न कहीं यह आभास अक्सर होता था कि उनके जीवन का लक्ष्य कुछ और है और उनके जीवन में यह मोड़ उस समय आया जब उनके प्रिय मित्र स्व.श्री धर्मपाल भाटिया ने जोशी नगर हैबोवाल में मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ किया परन्तु भगवान की इच्छा कुछ और ही थी क्योंकि प्रधान स्व.श्री अशोक जैन को उनके जीवन के लक्ष्य प्रभु मिलन जो करवाना था मन्दिर निर्माण अभी चल रहा था और उनके मित्र प्रभु चरणों में विलीन हो गए और जाते समय सारी जिम्मेदारी प्रधान श्री अशोक जैन को दे गए और उनके इस फैसले से प्रधान श्री अशोक जैन जी के जीवन को एक नई दिशा मिली और उस दिन से वह पूर्ण भाव से श्री बालाजी महाराज जी के चरणों में समर्पित हो गए और अपना जीवन मन्दिर के विस्तार और सनातन धर्म के प्रचार में लगा दिया।सनातन धर्म के प्रचार के लिए उन्होंने सर्वप्रथम पूरे देश हिमाचल प्रदेश,हरियाणा,उत्तराखंड,जम्मू कश्मीर,यूपी,पंजाब के अतिरिक्त अन्य राज्यों में श्री बालाजी महाराज जी की चौंकी की और धर्म प्रचार में अहम अहम भूमिका निभाई।कोविड काल दौरान जब पूरा विश्व घरों में बंद था तो प्रधान स्व.श्री अशोक जैन जी ने सनातन धर्म के प्रचार के लिए एक सराहनीय प्रयास किया जिससे पूरा विश्व एक माला के रूप में बना और प्रयास स्वरूप उन्होंने अमेरिका,आस्ट्रेलिया,कैनेडा,दुबई,और अन्य देशों के भजन गायक/गायिका को सोशल साईट के माध्यम से जोड़ कर प्रतिदिन श्री बालाजी महाराज की चौंकियां आयोजित की और सनातन धर्म के प्रचार मे अमूल्य योगदान दिया और अपने जीवन के अंतिम क्षणों में अपने कंठ से जय श्री बालाजी का ही पवित्र नाम का सिमरन करते हुए अपने इस जीवन को सदैव के लिए अमर कर गए ऐसी महान जीव आत्मा की आज पुण्यतिथि पर हम सभी उन्हें कोटि कोटि प्रणाम करते है और सदैव उनके पदचिन्हों का स्मरण करने का प्रण लेते है।1, मैं खुद को धन्य समझता हूं कि मुझे प्रधान स्व श्री अशोक जैन जी जैसी महान जीव आत्मा का पुत्र होने का गौरव प्राप्त हुआ है और मेरे जीवन का भी अब यही लक्ष्य है प्रधान पद की गरिमा को बनाये रखते हुए प्रधान स्व अशोक जैन जी के सपने को साकार करते हुए मन्दिर और सनातन धर्म का प्रचार करना और मन्दिर को एक भव्य रूप देना। *अमन जैन (प्रधान सिद्व पीठ महाबली संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर) 2, जब प्रधान स्व अशोक जैन जी के हृदय की बाईपास सर्जरी थी तो दिल्ली एम्बुलेंस में जाते समय उन्होंने मन्दिर दरवार में नतमस्तक होने की इच्छा जताई उस समय डॉ यह देख कर अचंभित हो गए कि बाईपास सर्जरी कराने वाला इंसान भगवान के भजन इतने प्रेम भाव से गा रहा है कि उन्हें विश्वास ही नही हो रहा था ऐसी स्थिति में यह कैसे सम्भव हो सकता है ।सनातन धर्म के प्रचार व विस्तार के लिए प्रधान स्व अशोक जैन जी का योगदान अतुलनीय रहेगा। *ऋषि जैन (पुत्र व प्रधान सिद्व पीठ महाबली संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर चैरिटेबल एन.जी.ओ. ) 3,प्रधान स्व.अशोक जैन जी मेरे गुरु है उनके सानिध्य में रह कर मुझे प्रभु भक्ति का आभास हुआ है ।मेरे निराश जीवन को उन्होंने ही एक नई दिशा दी और मुझे अपने जीवन का मूल्य और लक्ष्य ज्ञात हुआ आज चाहे वो हम में मौजूद नही है लेकिन उनके आदर्श,उनकी प्रेरणा उनकी शिक्षा सदैव हमारे भीतर रह कर हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेगी।आज भी हर मंगलवार जो भजन प्रधान स्व.श्री अशोक जैन जी श्री बाला जी महाराज को अर्पित करते थे उसी परंपरा को आज भी पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया जा रहा है।
*इंजी: अनुज मदान (सेवक सिद्व पीठ महाबली संकटमोचन श्री हनुमान मंदिर) 4, मानव जीवन अनमोल है,दिव्य है और विरला है और मानव जीवन का सही शब्दों में क्या अर्थ है जिसका निर्वाह करते हुए हम अपने जीवन को साकार कर सकते है यह सभी हमें प्रधान स्व.अशोक जैन जी के जीवन से सीखना चाहिए जिन्होंने अपना रोम रोम भगवान श्री बालाजी महाराज जी की भक्ति को समर्पित कर दिया।