Sunday, June 29

नोटबन्दी के बाद देश में डिजिटल पेमेंट में बहुत तेज़ी से वृद्धि हुई हरकेश मित्तल अदक्ष कैट पंजाब

  • कैट ने सरकार से क्रेडिट-डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर लगने वाले बैंक चार्ज को सीधे बैंकों को सब्सिडी के रूप में देने की माँग की

लुधियाना (संजय मिका )- नोट बंदी के 5 वर्ष पूरे होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ अल्ल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कौर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल के कहा की 5 वर्षों के शुरुआती दिनों में देश भर के व्यापारियों को एक बड़े आर्थिक संकट से जूझना पड़ा और देश का सारा व्यापार अस्त व्यस्त ही गया किंतु व्यापारियों ने फिर भी सरकार का साथ दिया और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल पेमेंट अपनाने के आवाहन को अमली जामा पहनाने के लिए देश भर में मास्टरकार्ड के तकनीकी सहयोग से लगभग 400 से अधिक कॉन्फ़्रेन्स आयोजित की जिसके ज़रिए देश के सभी राज्यों में व्यापारियों ने डिजिटल पेमेंट को अपनाया और वर्तमान में बड़ी मात्रा में व्यापारी अपने व्यापार में डिजिटल पेमेंट के सभी तरीक़ों का बड़ा उपयोग कर रहे हैं । करोना की विपदा के समय डिजिटल पेमेंट का उपयोग बेहद बड़ी मात्रा में हुआ । श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड का उपयोग देश में बड़ी मात्रा में होता है किंतु इस पर लगने वाले लगभग 1 से 2 प्रतिशत के बैंक चार्ज के कारण अभी भी लोगों में इसके खुले रूल से इस्तेमाल पर हिचक है । श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया की यदि सरकार बैंक चार्जेज़ को सीधे सब्सिडी के रूप में बैंकों को दे दे और व्यापारी अथवा उपभोक्ता पर बैंक चार्ज का भार न पड़े तो निश्चित रूप से देश कम नक़द के इस्तेमाल की अर्थव्यवस्था की तरफ़ तेज़ी से बड़ सकता है । उन्होंने कहा की सरकार प्रतिवर्ष मुद्रा छापने के लिए लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करती है और लगभग 5 हज़ार करोड़ रुपए मुद्रा की सुरक्षा और लॉजिस्टिक में खर्च होते हैं । डिजिटल पेमेंट के उपयोग में वृद्धि से सरकार के इस खर्च में कमी आएगी , इस लिहाज़ से बैंकों को सब्सिडी देने पर सरकार पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं पड़ेगा और देश में काफ़ी हद तक नक़द के प्रवाह को कम किया जा सकेगा । उन्होंने कहा की देश में जिस बड़े पैमाने पर यूपीआई का उद्योग हो रहा है उसका मुख्य कारण यह है की यूपीआई के ज़रिए भुगतान करने पर कोई चार्ज नहीं लगता । इसलिए नोट बंदी की असली वजह नक़द को कम करना तभी सम्भव है जब बैंक चार्ज हटाएँ जाएँ ।

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