Wednesday, March 12

महाराज अग्रसेन ने पशु बलि प्रथा को खत्म कर जीव जंतुओ से प्रेम का संदेश दिया : हरकेश मित्तल

लुधियाना (रिशव, अरुण जैन) महाराजा अग्रसेन जीव जंतुओ से बहुत स्नेह और प्यार करते थे। उस समय यज्ञों में पशुओं की बलि देने की प्रथा थी। जब 18 यज्ञ शुरू हुए हर एक यज्ञ में जानवरों की बलि होने लगी। इस तरह से 17 यज्ञ पूरे हो गये। पर जब 18 वें यज्ञ के लिए जीवित पशु की बलि होने लगी तो महाराजा अग्रसेन को इस हिंसा से बहुत घृणा उत्पन्न हो गयी। उन्होंने उसी वक्त बलि प्रथा को रोक दिया और घोषणा की कि उनके राज्य में कोई भी अब निर्दोष पशु की बलि नही देगा, ना ही कोई मांसाहार करेगा। सभी लोग जानवरों की रक्षा करेंगे।उक्त शब्द अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन के पंजाब अध्यक्ष व इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन के सीनियर उपाध्यक्ष हरकेश मित्तल ने महाराज अग्रसेन की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहे। उन्होंने आगे कहा कि महाराजा अग्रसेन ने इसी वजह से सूर्यवंशी क्षत्रिय धर्म का त्याग कर दिया और वैश्य धर्म अपना लिया। वैश्य धर्म में कोई भी मांसाहार नही करता है। महाराजा अग्रसेन एक दयालु और जीव-जंतुओ से प्रेम करने वाले राजा थे।

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