Thursday, March 13

शहीद सुखदेव थापर की प्रतिमा के समक्ष रो-रो कर सुनाई दिव्यांग खिलाडिय़ो व अन्य खिलाडिय़ो ने सरकारी उपेक्षा की अपनी दर्द भरी दास्तान

  • खिलाडिय़ों के रुप में राष्ट्रीय धरोहर को संभाल न पाना हमारी बदनसीबी : अशोक थापर  

लुधियाना (विशाल, राजीव)- शहीद सुखदेव थापर की स्थानीय नौघरा स्थित जन्म भूमि पर पंहुचे तीन दिव्यांग खिलाडिय़ो, एक बाल खिलाड़ी सहित 2 अन्य खिलाडिय़ो ने शहीद की चरणछोह प्राप्त पावन पवित्र भूमि की मिट्टी को माथे पर लगा कर उन्हें शत-शत प्रणाम किया। शहीदी स्मारक पंहुचे उक्त खिलाडिय़ो ने आंखो से छलकते आंसुओ के साथ खुद में विश्व स्तरीय खिलाडिय़ो जैसी खेल क्षमता होने के बावजूद दो वक्त की रोटी नसीब न होने की अपनी दर्द भरी दास्तान शहीद सुखदेव की प्रतिमा के समक्ष रो-रो कर बयान की। मौके पर मौजूद शहीद सुखदेव थापर मैमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक थापर खिलाडिय़ो को ढांढस बंधाते-बंधाते खुद अपनी आंखो के आंसुओं को रोक नहीं पाए। इस दौरान खिलाडिय़ो ने आरोप लगाया कि अगर पंजाब सरकार उनकी खेल क्षमता की परख कर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए नौकरी दे दे तो वह घर परिवार को संभालने के साथ देश का नाम विश्व स्तर पर रोशन करने की क्षमता रखते हैं। विश्व स्तर पर बाडी बिल्डिंग चैंपियन खेल चुके शारिरक तौर पर दिव्यांग हीरा सिंह संधू ने कहा कि उनकी 90 प्रतिशत टांगे जवाब दे गई थी। मगर उन्होने हिम्मत नहीं हारी विस्व स्तरीय चैंपियनशिप में अच्छा प्रर्दशन किया। उनके प्रर्दशन को देश सरकार ने कई वायदे किए मगर हर बार पूरे नहीं किए। दिव्यांग होने के बावजूद खन्ना में सब्जी की रेहड़ी लगाकर जीवन व्यतीत कर रहे वल्र्ड कराटे चैंपियन तरुण शर्मा को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी देने का वायदा किया था। मगर 8 वर्ष बीतने पर सरकारी नौकरी तो दूर कोई उसका हाल जानने तक नहीं आया। दिव्यांग एथलैटिक्स पवित्र जोत ने कहा एक बाजू न होने के बावजूद उसने अनेक बार प्रतिभा का प्रर्दशन कर जीत हासिल की। अगर उसकी कोई आर्थिक मदद करता तो वह आज गोल्ड मैडलिस्ट होता। साइकलिस्ट पूनम जीत कौर गोल्ड मैडलिस्ट जीतने का बावजूद खेतों में 400 रुपये प्रतिदिन में फसल की बुआई कर घर का खर्च चला रही है। इन रोलर स्कैटिंग में गिनिज वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवा चुके 7 वर्षीय किड्स खिलाड़ी प्रणव चौहान आंखो पर पट्टी बांधकर स्कैटिंग करने की क्षमता रखते है। हालत यह है कि वह आज सरकारी उपेक्षा के चलते टूटे ट्रैक पर प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। इसी तरह नैशनल स्तर पर केल चुके सतीश कुमार को राज्य सरकार ने सब इंस्पैक्टर की मौकरी देने का वायदा किया था। मगर नौकरी न मिलने के चलते प्रतिभाशाली खिलाड़ी होने के बावजूद रेहड़ी पर जूते बेच कर घर का खर्च चला रहा है।शहीद सुखदेव थापर मैमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक थापर ने उर्त खिलाडिय़ो की तरस योग हालत के लिए राज्य पर सतासीन लोगो को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हमारी बदनसीबी है कि हम लोग युवा पीढ़ी के उत्थान के लिए बड़ी -बड़ी बातें तो करते हैं। मगर क्रिकेट के अलावा किसी अन्य खेल के खिलाड़ी की प्रतिभा को प्रोत्साहित नहीं करते।

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