Wednesday, March 12

उपभोक्ता क़ानून के तहत जारी नए मसौदे देश के ई कामर्स व्यापार को देंगे नई दिशा :हरकेश मित्तल

लुधियाना (अरुण जैन,आयुष) कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उपभोक्ता क़ानून के तहत जारी नियमों के मसौदों पर कुछ मीडिया रिपोर्टों जिनमें कहा गया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नए मसौदे ई-कॉमर्स नियमों से ई-टेलर्स पर अनुपालन बोझ में वृद्धि करेंगे तथा ई-कॉमर्स व्यापार जिसका देश में व्यापार में केवल 10 ही हिस्सा है के लिए लिए इतने नियमों की आवश्यकता नहीं है बल्कि बेफ़जूल इस प्रकार के नियम परेशानी पैदा करेंगे , को एक सिरे से ख़ारिज करते हुए कहा की कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्वों द्वारा इस तरह के कदमों को निरुत्साहित करने की अनावश्यक कोशिश है ।कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वो लॉबी जो नीति और नियमों का उल्लंघन करने पर आमादा है, सरकार की कार्रवाई को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है और ऐसा माहौल बनाना चाहती है कि अब किसी भी तरह के नियमों की आवश्यकता नहीं है। “यह कुछ निहित स्वार्थों वाली ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा नियमों को ताक़ पर रखने का एक प्रयास है क्योंकि लागू किए गए नियम भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय को नियंत्रित करने और उस पर कब्ज़ा करने के उनके भयावह मंसूबों पर अंकुश लगा देंगे। कुछ वैश्विक बड़ी कंपनियां आदतन कानून तोड़ती हैं और कानून का पालन करना उनके डीएनए में नहीं है। इसलिए वे ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो नियमों के क्रियान्वयन के खिलाफ हो। उन्होंने आगे कहा कि व्यापारिक समुदाय भारत में इन नियमों का अक्षरश: कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि सरकार नियमों पर गलत धारणाओं या गलतफहमियों के खिलाफ न झुके।श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि अनुपालन बोझ में वृद्धि का कहना हास्यास्पद है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत के व्यापारी कई सरकारी विभागों के कई कानूनों और नियमों के अधीन हैं, लेकिन फिर भी वे हर कानून का समय पर पालन कर रहे हैं और वह भी तब जब वे बुनियादी ढांचे से लैस नहीं हैं और सीमित मानव शक्ति रखते हैं। हालांकि, इसके विपरीत, ई-कॉमर्स कंपनियां बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन से अत्यधिक सुसज्जित हैं तो फिर यह उनके लिए अनुपालन बोझ क्यों है। ई-कॉमर्स को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए, यदि सरकार कुछ अनुपालन निर्धारित कर रही है, तो इसमें गलत क्या है?फॉल बैक लायबिलिटी के संबंध में, श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि क्या यह मार्केटप्लेस की जिम्मेदारी नहीं है कि वे विक्रेताओं को उनके प्लेटफॉर्म पर जगह देने से पहले आवश्यक केवाईसी करें और यदि उनके पोर्टल पर कोई विक्रेता यदि उचित माल अथवा सेवा देने में विफल रहते हैं और उपभोक्ता ठगा जाता है, तो क्या यह पोर्टल की जिम्मेदारी नहीं होगी, खासकर जब वह अपने ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस पर होने वाले लेनदेन पर कमीशन ले रहा हो। फॉल बैक लायबिलिटी उपभोक्ताओं को किसी भी शरारती या कपटपूर्ण गतिविधियों से बचाएगी जो बाज़ार और विक्रेता की आपसी मिलीभगत से हो सकती है।इस तरह के नियमों की आवश्यकता के बारे में, श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि यह जग जाहिर है कि कुछ वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार अपने लाभ के लिए कानूनों और नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं जिसके कारण से देश भर में हजारों दुकानों को बंद करने के लिए मजबूर किया है। यदि कानूनों और नियमों का उल्लंघन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की जाती है, तो इतना हंगामा क्यों?श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि ये नियम विदेशी और घरेलू दोनों तरह की ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू होंगे और नियमों के माध्यम से सरकार ने ई-कॉमर्स व्यवसाय को सभी के लिए समान स्तर का प्लेटफार्म देंने की पहल की है, जिसका स्वागत देश भर के व्यापारियों ने किया है ।

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