Friday, June 27

देश भर में 8 करोड़ व्यापारी 26 तारीख को कैट के भारत व्यापार बंद आवाहन में होंगे शामिल: हरकेश मित्तल

लुधियाना (संजय मिका, अरुण जैन)-ज़ीएसटी में हुए संशोधनों के द्वारा इस कर प्रणाली को सरल करने की बजाय बेहद जटिल करने से परेशान देश भर के 40 हज़ार से ज़्यादा व्यापारिक संगठन जो देश भर में 8 करोड़ से ज़्यादा व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) के नेतृत्व में आगामी 26 फ़रवरी को जीएसटी के बेतुके एवं तर्कहीन प्रावधानों को वापिस लेने तथा ई कामर्स कम्पनी अमज़ोन पर प्रतिबंध लगाने की माँग को लेकर भारत व्यापार बंद को सफल बनाने के लिए पूरी तरह जुट गए हैं ! देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफ़ेयर एसोसीयेशान ने पहले ही कैट केव्यापार बंद को न केवल समर्थन दिया है बल्कि उस दिन देश भर में ट्रांसपोर्ट का चक्का जाम करने की भी घोषणा की है । इसके अतिरिक्त बड़ी संख्याओं में अनेक राष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों ने भी व्यापार बंद का समर्थन किया है जिसमें ख़ास तौर पर ऑल इंडिया एफएमसींज़ी डिस्ट्रिब्युटर्ज़ फ़ेडरेशन , फ़ेडेरेशन ऑफ़ अलूमिनियीयम यूटेंसिलस मैन्यूफ़ैकचररस एंड ट्रेडर्ज़ एसोसिएशन, नार्थ इंडिया स्पाईसिस ट्रेडर्स एसोसिएशन, आल इंडिया वूमेंन एंटेरप्रिनियर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया कम्प्यूटर डीलर एसोसीइएशन, आल इंडिया कॉस्मेटिक मनुफक्चरर्स एसोसिएशन आदि शामिल हैं । कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की जीएसटी के अनेक बेतुके एवं मनमाने प्रावधानों के तहत अगर माल बेचने वाले व्यापारी की रिटर्न न भरना या कर न भरना अथवा देर होना है तो उसके लिए भी ख़रीदार ज़िम्मेदार है जिसके कारण ख़रीदने वाले व्यापारी को दिए हुए टैक्स का इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा और ऐसे व्यापारियों की दोबारा टैक्स देना होगा यह कहाँ का न्याय है ? ऐसा तो मुग़लों और अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की निल रिटर्न वालों पर भी जुर्माना देने के नोटिस देश भर में आ रहे हैं और उन पर बड़ा जुर्माना लगाया जा रहा है । जब उनकी तरफ कोई देय राशि बनती ही नहीं है तो फिर यदि निल रिटर्न यदि देर से भी फ़ाइल होती है तो सरकार को राजस्व का कोई नुक़सान नहीं होता है तो फिर उस पर जुर्माना कैसा ? वर्तमान प्रावधान के अनुसार यदि एक विक्रेता बोगस डिक्लेयर होता है तो सरकार पहले ख़रीदार विक्रेता से उसकी खरीद पर जो टैक्स उसने दिया हुआ है उस पर दोबारा टैक्स लेते हैं और उसके बाद उसने जिसको माल बेचा होता है उसके पास पहुंच जाते हैं और उससे भी टैक्स वसूलते हैं फिर उसने जिस को बेचा होता है उसको भी टैक्स वसूलते हैं इस तरीके से पांचवी छठे आदमी तक सरकार टैक्स वसूलती हैं जो टैक्स सरकार को 12 पर्सेंट मिलना चाहिए था उसकी जगह 72 परसेंट या 84 परसेंट भी टैक्स कि वसूली हो जाती है और उसके बाद भी व्यापारीयों को उत्पीड़न झेलना पड़ता है।उन्होंने कहा की जिस वक्त जीएसटी लागू किया गया था जीएसटी कॉउन्सिल, केंद्र एवं राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि यह एक राष्ट्र एक टैक्स है एवं व्यापारीयों के लिए अतयंत सरल है परन्तु परिस्थिति अत्यंत विपरित है। यदि तुरंत इसका समाधान एवं सरलीकरण नहीं किया गया तो करोड़ों की संख्या में व्यापारी, व्यापार से बाहर हो जाएंगे ओर उनके साथ जुड़े करोड़ों कामगार भी बेरोजगार होंगे।कैट ने कल ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर इस मामले में उनके तुरंत हस्तक्षेप का आग्रह किया है ।

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