Tuesday, May 13

अमेज़न विवाद में श्री नारायण मूर्ति की कम्पनी वाल

  • वाणिज्य मंत्री गोयल को पत्र भेजकर जांच की मांग की :हरकेश मित्तल

लुधियाना,(संजय मिका, रिशव)- ई कॉमर्स कम्पनी के वर्तमान में चल रहे विवाद के बीच कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उद्योगपति श्री नारायणमूर्ति की कम्पनी क्लॉउडेल के साथ अमेज़न के सम्बन्धो पर एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए सरकार से इस मामले की तुरंत जांच किये जाने की मांग की है ! कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल को आज भेजे एक पत्र में कहा है की ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न द्वारा भारत के नियमों, कानूनों और नीतियों को चकमा देने में श्री नारायणमूर्ति की कम्पनी क्लाउडटेल अमेज़न का पूरा साथ दे रही है । कैट ने कहा है की केवल अमेज़ॅन ही नहीं भारत में इसके जॉइंट वेंचर में और भी अनेक कंपनियां हैं जो भारत के नियमों और नीतियों के उल्लंघन में अमेज़न के सहायक की भूमिका निभा रही हैं , लिहाजा ऐसी कंपनियों की भी जांच किया जाना जरूरी है ! कैट ने यह भी कहा है की देश के कुछ बैंक अमेज़ॅन को कैशबैक की सुविधा देकर अपनी विशेष नीतियों के माध्यम से बाजार में अमेज़न द्वारा कीमतों के खेल में उसकी मदद कर रहे हैं, ऐसे बैंकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की जरूरत है । कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्री गोयल को भेजे पत्र में कहा की क्लाउडटेल इंडिया (प्राइवेट ) लिमिटेड के मालिक श्री नारायण मूर्ति तथा अप्पेरियो रिटेल (प्राइवेट ) लिमिटेड, श्री अशोक पाटनी जिसके मालिक हैं सहित दर्शिता एटेल-दर्शिता मोबाइल्स, एसटीपीएल-ग्रीन मोबाइल्स और रॉकेट कोमर्स कंपनियां पर ही अमेज़न का 80 प्रतिशत व्यापार हो रहा है । यद्यपि कानून और नीतियों के अनुसार,मार्केटप्लेस (अमेज़ॅन) का रिटेलर (जैसे क्लाउडटेल) से कोई संबंध या नियंत्रण नहीं होना चाहिए, पर ये रिटेलर कंपनियां पूरी तरह से अमेज़ॅन द्वारा नियंत्रित होती हैं। यही कारण है कि अमेज़ॅन का “मार्केटप्लेस” होने का दावा करना एक मात्र मिथक है। श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की ये महज कोई संयोग नही की क्लाउडटेल और उसकी होल्डिंग कंपनी, प्रियन बिजनेस सर्विसेज में कार्यत प्रबंध निदेशक, सीएफओ, एवं प्रमुख व्यक्ति (तथाकथित) अमेज़न के पूर्व कर्मचारी रह चुके हैं। यहां तक कि क्लाउडटेल के अधिकांश बोर्ड सदस्य अमेज़न के पूर्व कर्मचारी हैं । इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होगा कि श्री मूर्ति के पास 76% क्लाउडटेल के मालिकाना हक होने (और प्रियोने के पास 100% क्लाउडटेल के मालिकाना अधिकार हैं) के बावजूद भी निदेशक मंडल में श्री मूर्ति के स्थान पर बहुमत में अमेज़ॅन है। असल मे क्लाउडटेल और प्रियोने अमेज़न के (तथाकथित) पूर्व कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित और संचालित किए जाते हैं। क्लाउडटेल और उसकी होल्डिंग कंपनी, प्रियोने बिजनेस सर्विसेज के एमडी, सीएफओ, वरिष्ठ कर्मचारी, सभी अमेज़न के पूर्व कर्मचारी हैं। यहां तक कि क्लाउडटेल के बोर्ड मेंबर्स भी अमेज़ॅन के पूर्व (तथाकथित) और मौजूदा कर्मचारियों का मिश्रण है, जिसमें श्री अमित अग्रवाल, अमेज़ॅन; श्री कृष्णसंदीप वरगांती, एमडी, अमेज़ॅन के पूर्व कर्मचारी हैं ! श्री राजेश जिंदल, एमडी, अमेज़ॅन के पूर्व कर्मचारी, कोमल पटवारी, प्रियोने की कानूनी वकील, श्री अमित रानाडे, कैटामारन, श्री नित्यानंदन आर (पूर्व इंफोसिस ग्लोबल काउंसिल), कैटामारन; अर्जुन नारायणस्वामी, कैटामारन ; शीतल भट, कैटामारन से हैं जबकि क्लाउडटेल के बोर्ड में श्री राजेश जिंदल, एमडी, प्रियोने, पूर्व अमेज़ॅन कर्मचारी; कोमल पटवारी, प्रियोने कानूनी वकील; सुमित सहाय, एमडी; क्लाउडटेल, अमेज़न के श्रेणी नेतृत्व के पूर्व निदेशक, अमित रानाडे, कैटामारन ; और नित्यानंदन आर (पूर्व इंफोसिस ग्लोबल काउंसिल), कैटमारन शामिल है। दोनों कंपनियों में अमेज़ॅन के पूर्व कर्मचारी ही निर्णायक स्थान पर हैं जिससे साफ़ जाहिर होता है की भले ही श्री मूर्ति के पास अधिकांश शेयर हैं, लेकिन उन्होंने अमेज़ॅन के पूर्व कर्मचारियों को क्लाउडटेल और प्रियोने दोनों की कमान दे दी है। इसलिए अमेज़न की सहायक कम्पनी के मालिक होने के नाते श्री मूर्ति भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते क्योंकि सब कुछ जानते हुए भी वो अपनी कम्पनी क्लॉउडटेल का बेजा इस्तेमाल अमेज़ॉन द्वारा करवा रहे हैं और इसलिए अमेज़न विवाद में क्योंकि क्लाउडटेल महत्वपूर्ण भूमिका में है इसलिए श्री मूर्ति और उनकी कम्पनी क्लाउडटेल के अमेज़न के साथ किये गए कार्यकलापों की जांच जरूरी है । श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने श्री गोयल को भेजे पत्र में यह भी कहा है की विभिन्न बैंक अमेज़न के पोर्टल से माल खरीदने पर समय- समय पर 10 प्रतिशत का कैश बैक तथा अन्य अनेक सुविधाएँ दे रहे हैं । इन बैंकों में एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिटी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एचएसबीसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, आरबीएल बैंक, और एक्सिस बैंक प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह बैंक अमेज़न के पोर्टल से वस्तुओं की खरीद पर अपने डेबिट / क्रेडिट कार्ड के द्वारा भुगतान करने पर नकद छूट/कैश बैक आदि प्रदान कर रहे हैं, लेकिन अगर वही सामान हमारे करोड़ों छोटे दुकानदार के दुकानों से खरीदा जाता है, तो यह छूट प्रदान नहीं की जा सकती है। यह व्यापारियों को दो अलग समूह में बाट रहा हे, जो भारत के संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करता है, जो “समानता” की गारंटी देता है और उपभोक्ताओं को ऑफ़लाइन (अमेज़न और फ्लिपकार्ट) की दुकानों से सामान खरीदने से रोकता है तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 301जो कि देश में व्यापार और वाणिज्य के लिए स्वतंत्रता देता है उसका सीधा उल्लंघन है। अमेज़ॅन पोर्टल पर ख़रीदार को विशेष रूप से कैश बैक प्रदान करना एक कार्टेल जैसी स्थिति को पैदा करता है, जो बाज़ार में असमानता का वातावरण पैदा करती है जो विशेष रूप से एफडीआई पालिसी के प्रेस नोट नंबर 2 के तहत प्रतिबंधित है। अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट के साथ बैंकों के बीच का यह तालमेल प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3 (3) के साथ पढ़े गई धारा 3 (1) में प्रतिबंधित निषिद्ध प्रतिस्पर्धा को बाजार में प्रोत्साहित करता है। उक्त क़ानून के अनुसार अन्य चीजों के बीच प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 2 उन समझौतों पर रोक लगाती है जो भारत में प्रतिस्पर्धा पर एक प्रतिकूल प्रभाव पैदा करने का कारण बनते हैं या होने की संभावना है।

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