Friday, May 9

अमेज़न ने एफडीआई पालिसी एवं फेमा कानून का घोर उल्लंघन किया ! बिना सरकार की अनुमति के मल्टी ब्रांड रिटेल शुरू करने की साजिश

लुधियाना (संजय मिका)-भारत सरकार और एफडीआई पालिसी एवं विदेशी मुद्रा प्रबं धन अधिनियम (फेमा ) की विभिन्न गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने के लिए अमेज़न पर आरोप लगाते हुए और भारत में मल्टी ब्रांड रिटेल गतिविधियों के संचालन के लिए सरकार की अनिवार्य अनुमति नहीं मांगने पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स  (कैट ) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल को आज भेजे गए एक पत्र में  विभिन्न कानूनों के उल्लंघन के लिए अमेज़ॅन के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने की मांग की एवं  अमेज़ॅन पर अधिकतम जुर्माना लगाने और विभिन्न नियमों के तहत अन्य आवश्यक कार्रवाइयों करने का भी आग्रह किया । कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय, भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी को भी इसी तरह का पत्र भेजा है और अमेज़ॅन के खिलाफ कार्यवाही और उनके अधिकार में विभिन्न कानूनों के अंतर्गत अमेज़न के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग भी की ! कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सार्वजनिक रूप में उपलब्ध  विभिन्न दस्तावेज बताते हैं कि अमेज़ॅन ने लगभग  अमेज़ॅन इंडिया में 35,000 करोड़ रुपये जो ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस है लेकिन वास्तव में अप्रत्यक्ष रूप से जिसके जरिये मल्टी-ब्रांड खुदरा व्यापार हो रहा है , लगभग 4200 करोड़ रुपये मोर रिटेल लिमिटेड (एक मल्टी-ब्रांड रिटेल कंपनी)  में जिसे समारा कैपिटल के वैकल्पिक निवेश के जरिये अमेज़न   नियंत्रित करता है।उधर दूसरी और अमेज़न ने फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड में 1,430 करोड़ रुपये निवेश किये और फ्यूचर कूपन लेकिन वास्तव में फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एक बहु-ब्रांड खुदरा कंपनी) में एक नियंत्रित निवेश किया ! उपरोक्त सभी निवेश फेमा नियमों और विनियमों का उल्लंघन कर रहे है जिसके लिए कैट ने  सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है । कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया ने कहा की कानून का एक मूलभूत सिद्धांत है जिसके कि जो कार्य सीधे तौर पर किया जाना प्रतिबंधित है वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं किया जा सकता है, लेकिन कानून और नियमों को एक तरफ फेंकने में माहिर अमेज़न ने कभी भी सौदा होने के बाद सरकार और अन्य सम्बंधित अधिकारियों को कभी यह खुलासा नहीं किया किया वो मल्टी ब्रांड रिटेल व्यापार भी करेगा वो भी बिना सरकार की अनुमति के ! भारत के रिटेल व्यापार पर कब्ज़ा करने तथा छोटे व्यापारियों के व्यापार को हड़पने के लिए अमेज़न ने एक तरीके से सरकार एवं अन्य सरकारी संस्थानों को धोखा दिया है !
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने कहा कि भारत के व्यापारी अमेजन द्वारा उनके व्यापार को नष्ट किये जाने को लेकर बेहद चिंतित हैं क्योंकि अमेज़न उनका व्यापार नष्ट करने पर तुला है और इसीलिए  अमेज़न हर रास्ता अपना कर भारत के रिटेल कारोबार पर अपना कब्ज़ा जमाने के लिए कुछ भी अधिकृत अथवा अनधिकृत रास्ता अपना कर मनमानी व्यापारिक गतिविधियां कर रहा है!  यह तो  फ्यूचर समूह और अमेज़ॅन के बीच लड़ाई है जिसके चलते अमेज़ॅन द्वारा  सिंगापुर में स्तिथिआर्बिट्रेशन पैनल में जिरह के दौरान अमेज़न ने इस बात को स्वीकार किया की वो फ्यूचर रिटेल जो की एक मल्टी ब्रांड रिटेल कम्पनी है का उपयोग करेगा !के द्वारा मल्टीब्रांड रिटेल में अपना कब्ज़ा जमायेगा !  श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि अमेज़ॅन के बेईमान खेल को समझने के लिए, हमें फ्यूचर ग्रुप और अमेज़ॅन के बीच हाल ही में हुई एक डील में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए अमेज़न के द्वारा की गई साजिश के विवरण में जाना होगा। फ्यूचर रिटेल के साथ एक समझौते में अमेज़ॅन ने फ्यूचर कूपन्स (पी) लिमिटेड के 49% शेयर का अधिग्रहण किया। जो फ्यूचर रिटेल लिमिटेड का नियंत्रण प्राधिकारी है और एक सूचीबद्ध कंपनी है और देश भर में 1600 से अधिक रिटेल स्टोर हैं ! 12 अगस्त, 2019 को, एफसीएल एवं एफआरएल दोनों ने एक शेयरधारक समझौते को अंजाम दिया, जिसने फ्यूचर सौपें को कुछ “विशेष अधिकार” प्रदान किए। किसी भी महत्वपूर्ण सामग्री निर्णय के लिए एफसीएल की स्वीकृति और किसी भी सामग्री निर्णय लेने के लिए प्रमोटरों को प्रतिबंधित करना इसमें शामिल है ! समझौते का औचित्य 22 अगस्त, 2019 को स्पष्ट हो गया जब एफआरएल ने स्टॉक एक्सचेंज को अमेज़ॅन के साथ अपने समझौते के बारे में खुलासा किया, जिसमें अमेज़ॅन एफसीएल की 49% हिस्सेदारी खरीदेगा, यह खुलासा नहीं किया गया था कि एफसीएल के सभी अधिकार भी अमेज़न को  सौंप दिए गए थे। इस समझौते के आधार पर अमेज़न ने एफआरएल पर भी अपना नियंत्रण हासिल कर लिया। यह तथ्य कि भारत में विशेष रूप से ईडी और सेबी किसी भी नियामक को इसकी जानकारी नहीं दी गई ! उन्होंने आगे कहा कि अमेज़ॅन एफआरएल में शेयरधारक नहीं था, इसलिए इस तरह के प्रतिबंध का एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि अमेज़ॅन का एफआरएल पर नियंत्रण है  और समझौते की इस शर्त को पूरा करने के लिए एफसीएल ने अपने आर्टिकल ऑफ़ एसोसिएशन में परिवर्तन भी किया ! इस समझौते ने अमेज़न को एफसीएल की ओर से कार्य करने के लिए एक सम्पूर्ण पावर ऑफ़ अटॉर्नी भी दी गई ! अमेज़ॅन का निवेश (एफसीएल के माध्यम से) फेमा 1999 अधिनियम की धारा 13 का उल्लंघन है। यह फेमा के नियम 23 के स्पष्टीकरण (डी) का भी उल्लंघन करता है, फेमा के अनुसूची -1 के तहत निर्धारित प्रवेश मार्ग का उल्लंघन करता है, अनुसूची -1 के खंड 15.4 का भी यह स्पष्ट उल्लंघन है !। यह एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 के तहत निर्धारित शर्तों का भी घोर उल्लंघन करता है। अमेज़न द्वारा फेमा का ऐसा उल्लंघन फेमा अधिनियम की धारा 13 में निर्दिष्ट जुर्माना लगाने के लिए एक प्रमाणित मामला है जिसके अनुसार मौद्रिक जुर्माना उल्लंघन में शामिल राशि का तीन गुना तक है जिसका अर्थ है कि अमेज़न 1 लाख 20,000 करोड़ रुपये के मौद्रिक दंड के लिए उत्तरदायी है ! इसके अतिरिक्त, प्रवर्तन निदेशालय यह निर्देश दे सकता है कि “किसी भी मुद्रा, सुरक्षा या अन्य धन या संपत्ति जिसके संबंध में उल्लंघन हुआ है” केंद्र सरकार जब्त  कर सकती है । अंत में, सिंगापुर आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अंतरिम पुरस्कार ने कथित तौर पर यह स्थापित किया है कि अमेज़ॅन के स्वयं के प्रवेश पर भी, इसका पूरा निवेश एफआरएल में अपने विशिष्ट नियंत्रण अधिकारों की ओर है श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने दोनों ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से तत्काल कार्रवाई की मांग की !इस मुद्दे पर सरकार के कानूनों और नियमों में व्यापारियों का विश्वास बहाल करने के लिए कैट ने  संबंधित अधिनियम और नियमों के तहत आरबी आई ई, सेबी और प्रवर्तन निदेशालय से अमेज़ॅन के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की भी मांग की है। कैट  को भारत के छोटे व्यवसायों को मारने के लिए किसी भी कम्पनी को कोई आजादी की अनुमति नहीं दी और यदि आवश्यकता होती है, तो हम न्याय के अंत को पूरा करने के लिए सड़कों पर जाने या कानून की अदालत में जाने में संकोच नहीं करेंगे। श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा।

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